IGCSE Hindi (Second Language) Paper-1: Specimen Questions with Answers 36 - 41 of 143
Passage
लखनऊ के इक्के और तांगे पर निम्नलिखित लेख पढ़िए तथा दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
अवध की संस्कृति में सुसज्जित घोड़ा परिवहन का साधन और शान का प्रतीक था। मुख्य रूप से तीन प्रकार के ताँगे और इक्के मिलते हैं- बग्गी, फिटन और टमटम। बग्गी बंद डिब्बे की होती है, तो फिटन और टमटम खुले वाहन हैं, जिन्हें नायाबो द्धारा यात्रा में वरीयता दी जाती थी। किन्तु ताँगे व इक्के का शाब्दिक अर्थ अधिक अश्व शक्ति की ओर इंगित करता है। इक्के में एक घोड़ा होता है जबकि बग्गी या ताँगे में दो, चार या अधिक घोड़े होते हैं। यह वास्तव में इस्तेमाल करने वाले की सामाजिक प्रतिष्ठा पर निर्भर करता है।
18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के प्रारम्भ में अवध के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक माहोल में बदलाव आया। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हल्के वाहनों का निर्माण और इस्तेमाल होने लगा, जिसमें कम से कम अश्व शक्ति लगे। सामान्य बोलचाल में इक्के का अर्थ है इक या एक यानि एक व्यक्ति के इस्तेमाल के लिए। इसके अतिरिक्त ताँगा एक परिवार वाहन था। किन्तु, किफायत की मजबूरी को देखते हुए इक्के में अधिक संख्या में यात्री बैठाने पड़े। ताँगा अपेक्षाकृत भारी और बड़ा वाहन हैं, जिसमें पैरो के लिए अधिक जगह होती हैं और चार से छह वयस्क ओ पीछे कमर लगाकर बैठ सकते हैं।
हर साल इन ताँगों और इक्कों की दौड़ लखनऊ में होती है। इस आर्कषक दौड़ की तैयारियाँ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का निमत्रंण प्राप्त होने या मीडिया में इसकी घोषणा के साथ ही शरू हो जाती हैं। जँगी घोड़े इस दौरान सबके लिए आर्कषण का केन्द्र-बिन्दु होते हैं। उनके बनाव श्रृंगार का काम शुरू होता है, जो उसी तरह किया जाता है जैसे सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली सुँदरियों का किया जाता है। प्रतियोगिता के दिन प्रतिभागी जँगी घोड़े का जो मुखौटा पहनाया जाता है, वह सोने चाँदी का या रंगीन चमकदार चादर से बना होता है। एक विशेष साजज्जा के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के अलॅकरण शामिल होते हैं, जिनका इस्तेमाल घोड़े को सिर से खुर तक सजाने के लए किया जाता है ताकि प्रत्येक इक्के या ताँगे को स्वंय की बेजोड़ पहचान दी जा सके। घोड़े के खुरों का भी श्रृंगार किया जाता है। पुरानी नाल के स्थान पर नई नाल लगाई जाती हैं। पैरों की सुदंरता बढ़ाने के लिए कशीदाकारी युक्त वस्त्र पैरों में डाले जाते हैं और पीतल या चाँदी के घुॅघरू बाँधे जाते हैं। माइक पर घोषणाओं, सीटियाँ बजाने और झंडियाँ दिखाने के साथ ही ताँगे और इक्के वाले अपने-अपने घोड़ों के साथ मोर्चा संभालते हैं। मंच तैयार हैं, एक गोली हवा में छूटती है और दौड़ शुरू होती है।
Question 36 (6 of 6 Based on Passage)
Explanation
18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के प्रारम्भ में अवध के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक माहोल में बदलाव आया। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हल्के वाहनों का निर्माण और इस्तेमाल होने लगा।
Passage
राजस्थान के मंदिरों में होली उत्सव
कई दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भक्त भगवान के साथ होली खेलते हैं तो कल़ाकार संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ उनकी आराधना करते हैं। इसमें मुस्लिम कलाकार भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। इन दिनों में जयपुर के गोविंद देव के मंदिर में नजारा देखने लायक होता है। कहीं मंदिर में रंग गुलाल-अबीर की रौनक होती है तो कहीं भक्त भगवान के साथ फूलों की होली खेलते है। इस दौरान मंदिरों की छटा इंद्रधनुषी हो जाती है। रोज़ अलग-अलग कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर अपने प्रिय कान्हा के साथ होली खेलने का चित्रण करते हैं।
मंदिर से जुड़े गौरव धामानि कहते हैं, यह ढाई सौ साल से भी ज्यादा पुरानी परंपरा है और रियासत काल से चली आ रही है। दरअसल ठाकुर जी (भगवान) को रिझाने के लिए होली उत्सव शुरू किया गया था, जो अब भी जारी है। ″ तीन दिन तक चलने वाले इस उत्सव में राज्य भर के करीब दो सौ कलाकार अपनी कला का भक्ति भाव से प्रदर्शन करते हैं।
आयोजन के पहले दिन मंदिर में झांकी सजती हैं और सभी कलाकार अपनी-अपनी कला से वंदना करते हैं। जैसे कि कत्थक नृत्यांगना गीतांजलि ने नृत्य पेश किया। उन्होंने कहा, “यह भगवान की बंदगी है। यह समर्पण है, हमने जो कुछ भी सीखा है, उसे ईश्वर के चरणों में समर्पित कर दिया।” कत्थक गुरू डाक्टर शशि सांखला कहती हैं, “कृष्ण कथानक और होली का गहरा रिश्ता है। श्रीकृष्ण को कत्थक का आराध्य देव माना जाता है। होली आती है तो कृष्ण को याद किया जाता है क्योंकि उनकस स्वभाव चंचल है।”
त्यौहार प्रेम और सदभाव का संदेश लेकर आते हैं। भक्ति से भरे माहौल में जब नगाड़े की आवाज़ सुनाई देती है तो यह शफ़ी मोहम्मद का हुनर है। ये हज करके लौटे हैं और सच्चे मुसलमान हैं लेकिन उनके धर्म ने उन्हें भक्ति की इस रसधारा में शामिल होने से नहीं रोका। वह कहते हैं, इबादत में क्यों फ़र्क किया जाए। हम पीढ़ियों से इससे जुड़े हैं। गोविंद के दरबार में आते हैं और अपने साज़ से इबादत करने वालों का साथ देते है। शफ़ी कहते हैं, रजवाड़ों के समय से हम मंदिरों में जाते हैं, शहनाई बजाते हैं, नगाड़ा बजाते हैं। भजन भी गाते हैं।
जोधपुर के राजा मान सिंह के दरबार में रमज़ान खान गायक थे। उनकी होली बड़ी मशहूर थी। रमज़ान होली के गीत गाते थे। तब धर्म के आधार पर कोई दीवार नहीं होती थी। गोविंद देव मंदिर का होली उत्सव नेक इबादत का समागम था। न कोई धर्म-संप्रदाय की श्रेष्ठता का सवाल उठा, न किसी ने पूछा कि खुदा बड़ा है या भगवान।
Question 37 (1 of 6 Based on Passage)
Explanation
भक्ति भाव का उद्देश्य होता है।
Question 38 (2 of 6 Based on Passage)
Explanation
अलग-अलग कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर अपने प्रिय कान्हा के साथ होली खेलने का चित्रण करते है।.
Question 39 (3 of 6 Based on Passage)
Explanation
शफ़ी मोहम्मद हिंदू मंदिर में संगीत बजाने वालों को भक्ति रसधारा के रूप में देखते हैं।
Question 40 (4 of 6 Based on Passage)
Explanation
रीकृष्ण को कत्थक का आराध्य देव माना जाता है। इसलिए होली आती है तो कृष्ण को याद किया जाता है क्योंकि उनका स्वभाव चंचल है व कृष्ण की उपासना की जाती है।.
Question 41 (5 of 6 Based on Passage)
Explanation
भक्ति भाव व नेक इबादत का प्रतीक है।.